प्लास्टिक की बोतल से पानी पीने को सभी स्वस्थ मानते हैं, वे मानते हैं कि प्लास्टिक की बोतल में बंद पानी साफ और सुरक्षित होता है, लेकिन ये बात पूरी तरह से सही नहीं है. प्लास्टिक बोतल में बंद पानी न केवल पर्यावरण या पशु-पक्षियों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि आपकी सेहत को भी इससे नुकसान पहुंचता है.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के अनुसार, “भारत सालाना 35 लाख टन प्लास्टिक कचरा पैदा कर रहा है और पिछले पांच वर्षों में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक कचरा उत्पादन लगभग दोगुना हो गया है.”
हार्वर्ड की रिसर्च
हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की रिसर्च के अनुसार जो प्लास्टिक की बोतल पोलिकार्बोनेट से बनी होती है और अगर उससे कोई पानी पीता है तो उनके मूत्र (यूरिन) में एक खास किस्म के केमिकल्स की मात्रा ज्यादा होती है जिसका नाम है बिसफेनल ए (bisphenol A – BPA). यह केमिकल हानिकारक होता है. इसकी वजह से हार्ट और डाइबिटीज की समस्या बढ़ सकती है.
एक्सपर्ट की रिसर्च
वेदांम्रित की डॉ वैशाली शुक्ला बताती हैं, जब भी प्लास्टिक की बोतल हीट के संपर्क में आती है तो यह पानी में माइक्रो प्लास्टिक्स छोड़ती है जो मानव शरीर के लिए हानिकारक है. यह हार्मोनल इंबैलेंस, लिवर की समस्या और इंफर्टिलिटी को बढ़ावा देती है. वो कहती हैं जब तक बहुत आवश्यक ना हो तब तक प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल न करे, इसकी बजाय अन्य विकल्प देखें. एक प्लास्टिक की बोतल पर्यावरण में हजारों सालों तक रहती है.
कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में रेडियोलॉजी एचओडी और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट के डॉ विमल सोमेश्वर ने बताया कि, “प्लास्टिक कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और क्लोराइड से बना बहुलक है. इनमें से, बीपीए प्लास्टिक की पानी की बोतलें बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे हानिकारक रसायनों में से एक है, और इसका स्तर तब बढ़ जाता है जब पानी को लंबे समय तक या उच्च तापमान पर संग्रहीत किया जाता है.”
डॉ विमल सोमेश्वर ने कहा कि, प्लास्टिक की बोतलों से पानी पीने वालों में हार्मोनल गड़बड़ी जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. पुरुषों में इससे शुक्राणुओं (स्पर्म) की संख्या कम हो सकती है और लड़कियों में इंफर्टिलिटी बढ़ सकती है. वे आगे कहते हैं कि, यहां तक कि बोतलबंद पानी पीने वाले लोगों में लीवर और ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना भी अधिक होती है. यह इम्यूनिटी सिस्टम पर भी हमला करता है. समय आ गया है कि हम हमें तांबे के बने कंटेनर और कांच की बोतलों में बंद पानी पीएं.
बोतलबंद पानी का पूरा जीवन चक्र जीवाश्म ईंधन का उपयोग करता है जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देता है और प्रदूषण का कारण बनता है.